अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है�
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है�